History 12, chapter 9,Notes:Fifth report (पाँचवीं रिपोर्ट)
पाँचवीं रिपोर्ट पर टिप्पणी
"पाँचवीं रिपोर्ट" ब्रिटिश संसद में 1813 में पेश की गई एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट थी, जिसका उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में किए गए प्रशासनिक और आर्थिक कार्यों की समीक्षा करना था।
अक्सर 'पाँचवीं रिपोर्ट' के नाम से उल्लिखित यह रिपोर्ट 1,002 पृष्ठों में थी। इस रिपोर्ट में विशेष रूप से बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भूमि व्यवस्था, राजस्व वसूली और किसानों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया।
रिपोर्ट में यह कहा गया कि 1793 में स्थायी बंदोबस्त लागू होने के बाद राजस्व में कोई वृद्धि नहीं हुई, जबकि कंपनी का खर्च लगातार बढ़ता गया। रिपोर्ट यह भी बताती है कि ज़मींदारी व्यवस्था के कारण किसानों की हालत और भी खराब हो गई थी।
यह रिपोर्ट भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के बारे में यूरोपीय विचारों को भी दर्शाती है। इन विचारों के अनुसार भारतीय समाज पिछड़ा हुआ और असंगठित था, जिसे सुधारने की आवश्यकता थी। इन्हीं विचारों के कारण अंग्रेजों ने भारतीय समाज में हस्तक्षेप करना उचित समझा।
संक्षिप्त नोट्स: "पाँचवीं रिपोर्ट" पर आधारित
1. रिपोर्ट का परिचय:
- प्रस्तुत: ब्रिटिश संसद में
- वर्ष: 1813
- उद्देश्य: ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासन और नीतियों की समीक्षा
2. विषयवस्तु:
- भारतीय प्रशासन, न्यायिक प्रणाली, और ज़मींदारी व्यवस्था का विश्लेषण
- मुख्य रूप से बंगाल, बिहार, और ओड़िशा की स्थितियों का विवरण
3. मुख्य निष्कर्ष:
- स्थायी बंदोबस्त (1793) से राजस्व नहीं बढ़ा
- कंपनी का खर्च लगातार बढ़ता गया
- किसानों की हालत और अधिक दयनीय हो गई
4. यूरोपीय दृष्टिकोण:
- भारतीय समाज को पिछड़ा और असंगठित माना गया
- सुधार की आवश्यकता महसूस की गई
- इस दृष्टिकोण ने ब्रिटिश हस्तक्षेप को उचित ठहराया
5. महत्व:
"पाँचवीं रिपोर्ट" एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो ब्रिटिश शासन की नीतियों और भारतीय समाज की स्थिति को उजागर करता है।
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