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Showing posts from July, 2025

History 12,chaper 6 notes: Lingayat Sect / Veerashaiva Movement

                  लिंगायत संप्रदाय / वीरशैव आंदोलन 🔷 परिचय : लिंगायत संप्रदाय की स्थापना 12वीं शताब्दी में बसवेश्वर (या बसवन्ना) ने कर्नाटक में की। इसे वीरशैव आंदोलन भी कहा जाता है। यह आंदोलन ब्राह्मणवादी परंपराओं, जाति व्यवस्था और मूर्ति पूजा के विरुद्ध था। 🔷 मुख्य सिद्धांत: 1. एकेश्वरवाद – लिंगायत केवल एक ईश्वर को मानते हैं, जिसे ‘लिंग’ के रूप में पूजा जाता है। 2. जाति प्रथा का विरोध – यह आंदोलन वर्ण व्यवस्था और छुआछूत के विरोध में था। 3. व्यक्तिगत भक्ति – भगवान से प्रत्यक्ष संबंध को महत्वपूर्ण माना गया, मंदिर और मूर्तियों की पूजा को अनावश्यक बताया। 4. पुनर्जन्म और श्राद्ध का विरोध – मृत्यु के बाद कर्मकांडों और श्राद्ध की परंपरा को नकारा गया। 5. स्त्री और पुरुष समानता – स्त्रियों को भी धार्मिक अधिकार दिए गए। 🔷 विशेषताएँ : लिंगायत अनुयायी अपने शरीर पर इष्टलिंग धारण करते हैं। यह आंदोलन सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम था। यह भक्ति आंदोलन का ही एक भाग था, लेकिन इसका दृष्टिकोण सुधारवादी और क्रांतिकारी था। 🔷  Lingayat Sect / Veeras...

History 12,chapter 6: Alvar and Nayanar saints

      अलवार और नयनार संत (भक्ति आंदोलन - दक्षिण भारत) 📌 परिचय: अलवार और नयनार दक्षिण भारत (तमिलनाडु) में भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत थे। इन संतों ने ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति (एकेश्वरवाद) पर बल दिया और जातिवाद व ब्राह्मणवादी परंपराओं का विरोध किया। 🔷 अलवार (Alvar): ये विष्णु भक्त संत थे। 'अलवार' का अर्थ है – "ईश्वर में डूबे हुए" । इन्होंने तमिल भाषा में भक्ति गीत रचे। जाति-पाति से ऊपर उठकर भक्ति पर बल दिया। कुल 12 अलवार संत माने जाते हैं। इनकी रचनाओं को "नालायरा दिव्य प्रबंधम" में संग्रहीत किया गया है। प्रमुख अलवार: नाम्मालवार आंडाल (एकमात्र महिला अलवार) पेय अलवार , भूतथ अलवार , तिरुमंगै अलवार आदि। 🔷 नयनार (Nayanar): ये शिव भक्त संत थे। 'नयनार' का अर्थ है – "नेता या पूजनीय व्यक्ति" । इन्होंने शिव की निःस्वार्थ भक्ति को महत्त्व दिया। कुल 63 नयनार संत माने जाते हैं। इनकी कथाएँ "पेरिय पुराणम्" में संकलित हैं (लेखक: सेक्किळार )। प्रमुख नयनार: अप्पार (Tirunavukkarasar) संभंदर सुंदरर ...